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Showing posts from June, 2023

यारा सा बच्चा है वो

थोडा नादान, थोडा सैतान पर दिलका सच्चा है वो दुरसे जो मर्जी केहेले हान्जी,मेरे लिए तो प्यारा सा बच्चा है वो  उसके साथ बाते करके शुरु अब दिन होती है, सब कुछ फिका फिका सा उस बिन होती है, प्यार से भी प्यारा पर थोडा अकल का कच्चा है वो हान्जी,मेरे लिए तो प्यारा सा बच्चा है वो  उसकी बाते और इरादे सब कुछ नेक लगती है, मुझको प्यारी उसकी बाते हर एक लगती है सच् बोलु तो मेरी सोच से भी ज्यादा अच्छा है वो हान्जी,मेरे लिए तो प्यारा सा बच्चा है वो चाहती हु, दुनिया दारी समझ के रहे वो सदा मान से, शिर उठा सके वो हमेशा सबके सामने शान से, उसकी सादगी और भोलापन आखो मै हि दिखता है वो हान्जी,मेरे लिए तो प्यारा सा बच्चा है वो चाहती हु दुनिया कि हर खुसि उस्को मिलजाए चाहे कहिँ भी जाए मगर दिल से दुर नही जाए मेरा दिल का रख्वाला अच्छा है वो हान्जी,मेरे लिए तो प्यारा सा बच्चा है वो                                 ✍️Especial ONE🌹

An angel called Arian

Let me tell you a story I met that boy- think he is the one Knowing him - what a glory  Am the luckiest - calling him hun‘ Arian is his name he earned a lot of fame  You don’t know him? So Lame! Other boys? Not the same! Saying his name - goosebumps are guaranteed Keep in mind, the angels name‘s Arian Falling in love, Lord, please don’t intercede La bella durmiente es pura His sparkling face - no matter if smiling, blushing or sad Lord took him away from me - give him back! Think of his smell - better than every snack Don’t dare leaving me - can hear my heart crack he is leaving sparkle everywhere he goes I am loving his body - from head to toes  Thinking of being with him - my mind, it blows What’s special ’bout him? His style, brain, manners, pose Got rid of his past, that stupid memories .  Ending this poem with lines in German  Was ich für sie fühle? Das weiß ich nicht  Was ich gewiss weiß, Schatz, ich liebe dich           ...

तिमीलाई...

 तिम्रा  जिम्बेवारीका भारले तिमीलाई थिचि रहँदा मैले तिमीलाई मेरो काँथ दिनुपर्थ्यो तिम्रा दिग्दारीका भावले तिमीलाई पिल्सीरहदाँ मैले तिमीलाई जिउने आँट दिनुपर्थ्यो ।     तर मैले मेरो भारी बिसाउने बिसौनी बनाएर मनका पिडा मिसाउने विसौनी बनाएर तिमीलाई थप भारले थिचि पो दिएँ की ?   मेरा आफ्ना दिग्दारी तिमीलाई पोखेर आफ्ना मनमा संघर्षका ब्यथामा .................. तिम्रा मनका भावनालाई अझै थिचि पो दिए की ।                                                    ✍️नरेन्द्र प्रसाद पोख्रेल                                        मधुवन १ बर्दिया।